Dev Sanskriti: Interdisciplinary International Journal (Jul 2013)

मानवतावादी जीवन दृष्टि: आधुनिक परिप्रेक्ष्य में

  • Krishna Jhare

DOI
https://doi.org/10.36018/dsiij.v2i0.26
Journal volume & issue
Vol. 2

Abstract

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मानवतावादी जीवन दृष्टि में व्यष्टिगत् और समष्टिगत जीवन विकास के आदर्श निहित हैं। यह मनुष्य जीवन को इस धरती पर अति विशिष्ट जीवन के रूप में स्वीकारती है एवं मानव, प्रकृति और परमात्मा के बीच सामंजस्य एवं पारस्परिक विकास के आदर्श प्रस्तुत करती है। सभी मानवतावादी विचारधाराओं एवं सिद्धांतों में इसी जीवन दृष्टि की अभिव्यक्ति हुई है। इस धरा पर मनुष्य जीवन के साथ ही मनुष्यता रूपी आदर्श भी जन्मा है। मानवतावादी जीवन दृष्टि इसी आदर्श को जीवन में साकार बनाने में प्रयत्नशील रहती है। मनुष्य जीवन में अपने विकास के साथ-साथ जिस तरह विचारों और भावनाओं में एकरूपता, सामंजस्य का व्यापक स्वरूप प्रकट होता गया वही मानवतावादी जीवन दृष्टि के विकास का संवाहक रहा है। इस जीवन दृष्टि का सैद्धान्तिक व व्यावहारिक क्षेत्र अत्यन्त व्यापक रहा है। मानवीय जीवन के कई ऐसे अनिवार्य पक्ष है जो मानवतावादी जीवन दृष्टि के स्वरूप का सृजन और विकास करते रहे हैं। नैतिकता, धार्मिकता, दार्शनिकता, सामाजिकता, आध्यात्मिकता आदि जीवन के ऐसे प्रमुख अंग हैं, जिनके अंतर्गत मानवता के विकास एवं स्वरूप निर्धारण करने वाले सिद्धांतों का प्रतिपादन होता रहा है। अपनी भिन्न-भिन्न दृष्टि और आदर्शों के बावजूद भी पूर्वी और पाश्चात्त्य चिन्तन में प्रमुखतया नैतिक, धार्मिक और सामाजिक दृष्टि पर आधारित ऐसे कई सिद्धांतों का प्रतिपादन हुआ है, जिन्हें प्रकारान्तर से मानवतावादी सिद्धांत के रूप में समझा गया है। इसके साथ ही ऐसे कई विचारक भी हुये हैं, जिन्होंने इस जीवन दृष्टि के आधार पर मानवता के मूल्य को केन्द्र में रखकर अपने मानवतावादी सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है। मनुष्य जीवन के सर्वोच्च आदर्श एवं मूल्यों की प्रतिष्ठा का आधार मानवतावादी जीवन दृष्टि ही है। इसलिए इसका महत्त्व और प्रासंगिकता जीवन के समानान्तर सदैव मौजूद है। वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में तो इसकी सर्वोपरि आवश्यकता है। क्योंकि इक्कीसवीं सदीं के मानव जीवन में हजारों तरह के विघटन और समस्याएँ हैं, परन्तु सबसे बड़ा संकट मानव जीवन के अस्तित्व का है और इसका एक मात्र समाधान मानवतावादी जीवन दृष्टि में है। The ideals of micro and macro life expansion are deeply rooted in the humanistic viewpoint. It recognizes human existence as an exceptional entity on this earth and introduces the ideal of harmony and mutual progress among humans, nature and the Almighty. This outlook of life has been expressed in all the humanistic ideologies and principles. Along with human life, the ideal of humanity has also emerged on this earth. Humanistic life view endeavours to make this ideal come true in life. Human growth has been the propagator of the development of humanistic viewpoint, as the uniformity of thoughts and feelings with the general pattern of harmony has been manifested. The theoretical and behavioral framework of this viewpoint has been remarkably extensive. There are quintessential aspects of human life which have been moulding and developing the nature of humanistic life perspective. Ethics, religiosity, philosophy, sociality and spirituality, etc. are such considerable segments of life, which undertake the formulation of the principles that determine the evolution and nature of humanity. Many of the theories based on moral, religious and social terms have been promulgated from time to time in Eastern and Western notion have been understood as humanitarian principles instead of their different viewpoints and ideology. Along with this, there have been many scholars who have laid down their humanistic philosophy by strongly holding the standards of humanity at the center of this viewpoint. The foundation of the prestige of the highest ideals and values ​​of human life is the humanistic viewpoint of life. Therefore its significance and relevance always exist parallel to life. It is of paramount requirement in the present context. Because there are thousands of disintegrations and hurdles in human life of the twenty-first century, but the biggest crisis is to the existence of human life and the only solution lies in the humanistic view of life.

Keywords