Interdisciplinary Journal of Yagya Research (Sep 2022)

रामचरितमानस में वर्णित यज्ञ की वर्तमान में प्रासंगिकता

  • Dharmendra Singh,
  • Manisha Bhardwaj

DOI
https://doi.org/10.36018/ijyr.v5i1.76
Journal volume & issue
Vol. 5, no. 1

Abstract

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प्रस्तुत शोध का उद्देश्य रामचरितमानस में वर्णित यज्ञ की वर्तमान समय में प्रासंगिकता का अध्ययन करना है। यज्ञ की महत्ता प्राचीन काल से चली आ रही है। यज्ञ की महिमा का गान ऋग्वेद से लेकर पुराण और बहुत से धर्म ग्रंथों ने किया है। रामचरितमानस यज्ञीय संस्कृति की रक्षा और संवर्धन का एक सतत् प्रयास करती है। श्रीराम का जन्म यज्ञीय वातावरण में होता है। यज्ञ की रक्षार्थ ही वे अयोध्या छोड़कर निकलते हैं और विवाह भी धनुष यज्ञ द्वारा होता है। सारे जीवन वे ऋषियों की रक्षा करते हुए यज्ञीय जीवन बिताते हैं। स्वयं भी अंत में अश्वमेध यज्ञ करते हैं। रामकथा यज्ञमय ही है। आज के दूषित वातावरण को परिष्कृत करने हेतु यज्ञ उतना ही प्रासंगिक है जितना रामचरितमानस काल में था।

Keywords